लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने गैर सहायता प्राप्त निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस को लेकर बड़ा आदेश जारी किया है। लखनऊ बेंच ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में चलने वाले विभिन्न मेडिकल कोर्सों के लिए 2024-25 सत्र के लिए फीस निर्धारण का आदेश दिया है। कोर्ट ने शुल्क निर्धारण समिति को आदेश दिया है कि शुल्क निर्धारण की कार्रवाई 21 सितंबर तक पूरी कर ली जाए। इसी के साथ कोर्ट ने चीफ सेक्रेटी को उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का भी आदेश दिया है, जिन्होंने शुल्क निर्धारण समिति का गठन करने में विलंब किया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट लखनऊ बेंच के जस्टिस आलोक माथुर की सिंगल बेंच ने यूपी अन-एडेड मेडिकल एंड अलॉयड साइंसेज कॉलेज वेलफेअर असोसिएशन और अन्य की ओर से दाखिल याचिका को मंजूर करते हुए यह आदेश दिया। पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि उसका फैसला कोर्ट आए गैर सहायता प्राप्त निजी मेडिकल कॉलेजों पर ही लागू होगा।
कोर्ट ने निरस्त किया सरकार का आदेश
कोर्ट ने अपने इस निर्णय में राज्य सरकार के 11 जुलाई 2024 के उस शासनादेश को भी निरस्त कर दिया जिसके तहत इन कॉलेजों के लिए सत्र 2023-24 में निर्धारित शुल्क 2024-25 के लिए बढ़ा दिया गया था। याचियों की ओर से दलील थी कि राज्य सरकार को संबंधित प्रावधान के तहत शुल्क निर्धारण का अधिकार नहीं है। आदेश में कहा गया कि शुल्क निर्धारण समिति ही विचार के उपरांत शुल्क का निर्धारण कर सकती है। सरकार की ओर से याचिका का विरोध किया गया।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद आया आदेश
कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के उपरांत पारित अपने निर्णय में शुल्क निर्धारण समिति को याची संस्थानों की सत्र 2024-25 के लिए शुल्क निर्धारण प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। साथ ही संस्थानों को एक सप्ताह में शुल्क वृद्धि के संबंध में आवश्यक दस्तावेज समिति के समक्ष पेश करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में छह माह पूर्व ही शुल्क का निर्धारण हो जाना चाहिए था, बावजूद इसके निर्धारण समिति का गठन ही नहीं किया गया।