गोरखपुर: सात साल पहले तक, गोरखपुर और उकलसके आस-पास के क्षेत्रों में मेड सुविधाओं की भारी कमी थी. बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर एकमात्र चिकित्सा संस्थान था, लेकिन इसकी व्यवस्थाओं में खामियां थीं, जो इसे भी समस्याग्रस्त बनाती थीं. एमबीबीएस की शिक्षा के लिए भी यह एकमात्र संस्थान था, और इसकी मान्यता पर अक्सर खतरे के बादल मंडराते रहते थे.
गोरखपुर मंडल के चार जिलों में अब पांच मेडिकल कॉलेज स्थापित हो चुके हैं, जिनमें एक विश्वस्तरीय एम्स भी शामिल है. पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सिर्फ 100 एमबीबीएस सीटें थीं, लेकिन एम्स के खुलने से 125 नई सीटों की वृद्धि हुई. इसके अलावा, देवरिया में महर्षि देवरहा बाबा राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज के कारण 100 सीटों का इजाफा हुआ. इस साल से कुशीनगर, महराजगंज, और गोरखपुर के तीन नए मेडिकल कॉलेजों में कुल 300 एमबीबीएस सीटों पर दाखिला शुरू हो जाएगा.
आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना
गोरखपुर में इस साल के अंत तक राज्य का पहला आयुष विश्वविद्यालय बनने की संभावना है. इसके स्थापित होने से आयुर्वेद, होम्योपैथी, और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों का प्रसार होगा, जिससे इन विधाओं में शिक्षा और इलाज का विस्तार होगा.
मेडिकल सीटों और छात्रों की सुविधा में सुधार
गोरखपुर समेत मंडल में पिछले सात सालों में मेडिकल छात्रों के लिए काफी बदलाव हुए हैं. पहले जहां गोरखपुर में मेडिकल कॉलेज और एम्स ही एकमात्र विकल्प थे, वहीं अब नए कॉलेजों के खुलने से मेडिकल सीटों में वृद्धि के साथ-साथ छात्रों की सुविधाएं भी बढ़ी हैं. बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राम कुमार जायसवाल के अनुसार, सीटों की संख्या बढ़ने से छात्रों को बेहतर विकल्प और सुविधाएं मिल रही हैं.
सीटों की संख्या
अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 150 सीटें, एम्स गोरखपुर में 125 सीटें, देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज देवरिया में 100 सीटें, गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में 50 सीटें, राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज कुशीनगर में 100 सीटें, और केएमसी मेडिकल कॉलेज महराजगंज में 150 सीटें उपलब्ध हैं. इन नए विकल्पों के साथ, छात्रों को बेहतर शिक्षा और सुविधाएं मिल रही हैं.