Meerut NCR Medical College Recognition Brokerage Case

मेरठ एनसीआर मेडिकल कॉलेज मान्यता की दलाली केस: CBI का बड़ा एक्शन, 40 ठिकानों पर छापा, 35 पर FIR

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Meerut NCR Medical College CBI Action: मेरठ में मंगलवार को सीबीआई ने भाजपा की पूर्व एमएलसी के मेडिकल कॉलेज और आवास सहित देश के 40 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की थी। इस छापेमारी में 35 लोगों पर मुकद्दमा दर्ज किया गया है। इसमें शिवानी अग्रवाल का नाम भी शामिल है।
रामबाबू मित्तल, मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ से मान्यता के नाम पर दलाली का मामला सामने आया है। मेडिकल कॉलेजों की मान्यता में चल रहे भ्रष्टाचार के एक बड़े खुलासे में सीबीआई ने मेरठ के एनसीआर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को भी जांच के घेरे में ले लिया है। कॉलेज की सहायक प्रबंध निदेशक डॉ. शिवानी अग्रवाल पर रिश्वत, फर्जी दस्तावेज और फर्जी फैकल्टी दिखाकर 50 सीटें बढ़वाने की कोशिश करने का आरोप है। शिवानी पूर्व एमएलसी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल की बेटी हैं। सीबीआई ने इस मामले में डॉ. शिवानी समेत 35 नामजद और कई अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

बड़े पैमाने पर मिली गड़बड़ी
खरखौदा स्थित एनसीआर मेडिकल कॉलेज ने एमबीबीएस की सीटें 150 से बढ़ाकर 200 कराने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) में आवेदन किया था। सीबीआई के अनुसार निरीक्षण के दौरान फर्जी फैकल्टी तैनात दिखाई गई, बायोमेट्रिक में हेराफेरी कर उपस्थिति दर्ज कराई गई और काल्पनिक मरीजों का इलाज दर्शाकर फर्जी दस्तावेज पेश किए गए। आरोप है कि मान्यता रिपोर्ट को अनुकूल बनाने के लिए एनएमसी की टीम को रिश्वत की पेशकश भी की गई।

सीबीआई की बड़ी कार्रवाई

सीबीआई ने 30 जून को केस दर्ज करने के बाद 2 जुलाई को देशभर के 40 ठिकानों पर छापे मारे। लखनऊ, रायपुर, बेंगलुरु, विशाखापट्टनम, नई दिल्ली समेत कई शहरों में यह कार्रवाई हुई। मेरठ में डॉ. सरोजिनी के बेगमपुल स्थित आवास और खरखौदा के मेडिकल कॉलेज में करीब 9 घंटे छापेमारी हुई। इस दौरान कॉलेज से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए। लखनऊ से तीन डॉक्टरों समेत छह लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।

सरोजिनी का बड़ा दावा : Meerut NCR Medical College Recognition Brokerage Case

इस पूरे प्रकरण पर डॉ. सरोजिनी अग्रवाल ने बयान जारी करते हुए कहा कि कॉलेज में 150 सीटें पहले से थीं। 50 अतिरिक्त सीटों के लिए नियमानुसार आवेदन किया गया था। उन्होंने दावा किया कि कुछ दिन पहले एनएमसी की टीम ने निरीक्षण किया और सभी मानकों को सही पाया। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई को आवास और कॉलेज से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है।

CBI का गंभीर आरोप

सीबीआई ने इस घोटाले को एक संगठित साजिश करार दिया है, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC), निजी मेडिकल कॉलेजों और दलालों का गठजोड़ सक्रिय रूप से शामिल है। जांच एजेंसी का कहना है कि निरीक्षण से पहले कॉलेजों को सारी सूचनाएं लीक कर दी जाती थीं ताकि वे फर्जी फैकल्टी और नकली छात्रों की व्यवस्था कर सकें। निरीक्षण टीमों के सदस्यों के नाम तक पहले से बता दिए जाते थे।

देशभर के बड़े नाम शामिल

CBI की एफआईआर में कई राज्यों के मेडिकल कॉलेज संचालक, यूनिवर्सिटी पदाधिकारी, डॉक्टर और एनएमसी के निरीक्षणकर्ता शामिल हैं। एफआईआर में शिवानी अग्रवाल सहायक प्रबन्ध निदेशक एनसीआर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज मेरठ और कई अन्य संस्थानों के पदाधिकारी एवं अज्ञात लोग के नाम शामिल हैं। इनके खिलाफ मामला चलेगा। प्रमुख आरोपियों में शामिल हैं:

  • डॉ. शिवानी अग्रवाल – सहायक प्रबंध निदेशक, NCR मेडिकल कॉलेज, मेरठ
  • मयूर रावल – रजिस्ट्रार, गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर
  • डॉ. आर रणदीप नायर – टेकन्फी सॉल्यूशन्स, नई दिल्ली
  • रवि शंकर महाराज – अध्यक्ष, श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल इंस्टीट्यूट, रायपुर
  • अतुल तिवारी – निदेशक, रावतपुरा सरकार मेडिकल इंस्टीट्यूट
  • डॉ. मंजप्पा सीएन – हड्डी रोग विभागाध्यक्ष, मांड्या मेडिकल कॉलेज, कर्नाटक
  • डॉ. सतीश – बेंगलुरु
  • डॉ. चैत्रा एमएस, डॉ. रजनी रेड्डी और डॉ. अशोक शेल्के – एनएमसी निरीक्षण टीम
  • डॉ. ए. रामबाबू – हैदराबाद
  • श्रीवेंकट – निदेशक, गायत्री मेडिकल कॉलेज, विशाखापत्तनम
  • जोसेफ कोमारेड्डी – फादर कोलंबो इंस्टीट्यूट, वारंगल

क्या है आरोप?

सीबीआई छापे में खुलासा हुआ है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और मंत्रालय के अधिकारियों को रिश्वत दी जाती थी। रिश्वत की रकम हवाला के जरिए भेजी जाती थी। पहले रकम को एक जगह पर बिचौलिए जमा करते थे। इसके बाद हवाला के जरिए आगे बढ़ा दिया जाता था। इसके ठोस साक्ष्य सीबीआई के पास मौजूद है। साथ ही, यह भी खुलासा हुआ है कि मेडिकल कॉलेज में प्रॉक्सी शिक्षकों और नकली मरीजों को निरीक्षण के दौरान रखा जाता था।

सीबीआई का दावा है कि निरीक्षण करने वाली टीम को पहले ही रिश्वत देकर अपने अनुसार रिपोर्ट बनवा ली जाती थी। सीबीआई ने कहा है कि इस पूरे नेटवर्क ने जो काम किया है, वह देश में मेडिकल एजुकेशन को गर्त में धकेलने के जैसा है।

एफआईआर में अहम खुलासा

सीबीआई ने एफआईआर में खुलासा किया है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से जुड़े कुछ सरकारी अधिकारी इस पूरे भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे थे। इन्हीं लोगों ने देश भर के विभिन्न मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधियों और बिचौलियों के साथ मिलीभगत कर भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग और जानबूझकर गलत काम किया। सीबीआई की ओर से आरोप लगाया गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और नेशनल मेडिकल कमिश्नर यानी एमसी की गोपनीयता को भंग किया गया।

सीबीआई का आरोप है कि गोपनीय फाइलों और जानकारी चोरी कर रिश्वत लेकर संबंधित निजी मेडिकल कॉलेजों को बेची गई। मेडिकल कॉलेजों में निरीक्षण के समय प्रॉक्सी शिक्षक और फर्जी मर्जी मरीज भर्ती दिखाए गए। निरीक्षण के दौरान रिश्वत देकर अपने पक्ष में रिपोर्ट तैयार की गई। रिश्वत की रकम का लेन-देन हवाला के जरिए किया गया। संपत्ति जुटाने में इसका उपयोग किया गया।

सीबीआई ने बीएनएस की धारा 61(2) के तहत आपराधिक साजिश यानी दो से अधिक लोगों की ओर से अपराध या अवैध कार्य मिलकर करना या सहमति देना और पीसी एक्ट 7, 8, 9, 10 और 12 यानी लोक सेवक के स्तर पर किसी भी व्यक्ति से अनुचित लाभ लेने, लोक सेवक के स्तर पर आपराधिक कदाचार, पद का दुरुपयोग और कर्तव्य के पालन में लापरवाही, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करना आदि के आरोप में केस दर्ज कराई है।

रिश्वत के पैसों से मंदिर

सीबीआई ने दर्ज मुकदमे में खुलासा किया है कि अनुभाग अधिकारी पूनम मीणा, धर्मवीर और पीयूष माल्यान और अनूप इंद्रबली मिश्रा ने डॉ. वीरेंद्र कुमार से रिश्वत के पैसे लिए। बाद में, इस रिश्वत की रकम को डॉ. जीतू लाल मीणा के घर पहुंचाया गया। यह भी आरोप है कि डॉ. जीतू लाल मीणा ने अपने अवैध धन से मोहचा का पुरा, सवाई माधोपुर, राजस्थान में हनुमान मंदिर का निर्माण कराया है।

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