CBSE Board Exam नयी शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए एजुकेशन सिस्टम में कई बदलाव किए जा रहे हैं. काफी लंबे समय से सीबीएसइ बोर्ड परीक्षा के साल में दो बार होने की चर्चा चल रही थी. बता दें कि कोविड काल में स्टूडेंट्स को सहूलियत देने के लिए ऐसा किया भी गया था. तब सीबीएसइ बोर्ड परीक्षा दो टर्म में हुई थी. अब अगले साल यानी 2026 से सीबीएसइ 10वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित करने की घोषणा कर चुकी है.
बोर्ड के इस निर्णय से विद्यार्थियों को क्या फायदा होगा, इस पर शहर के निजी स्कूलों के प्राचार्यों व शिक्षाविदों ने अपनी राय दी है. इनका मानना है कि साल में दो बार परीक्षा आयोजित होने से विद्यार्थियों पर सिलेबस का लोड कम होगा और बेहतर रिजल्ट व अंक प्राप्त करने के लिए दूसरा अवसर भी मिलेगा. इसके साथ ही विद्यार्थी पूरे साल परीक्षा की तैयारी में खुद को व्यस्त रखेंगे, जिससे उनका बेस भी मजबूत होगा
कम हो जायेगी फ्लाइंग कैंडिडेट्स की संख्या
साल में दो बार परीक्षा होने से फ्लाइंग कैंडिडेट्स (बिना क्लास करने वाले) की संख्या काफी कम हो जायेगी. विद्यार्थी के पास यह च्वाइस होगा कि वे दो बार परीक्षा देना चाहते हैं, या एक बार. वहीं प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद का कहना है कि विद्यार्थियों के हित में केवल 10वीं के स्तर की दो बार परीक्षा आयोजित करना बेहतर है. लेकिन कॉपी जांचने की प्रक्रिया पर बोर्ड ने कोई ठोस प्लान जाहिर नहीं किया है. एक बार परीक्षा आयोजित होती है, तो परीक्षा की तैयारी, मूल्यांकन और रिजल्ट प्रक्रिया में तीन महीने का वक्त लग जाता है. दो बार परीक्षा आयोजित करने से स्कूल प्रबंधकों का भी काफी वक्त लगेगा जो विद्यार्थियों के लिए बेहतर नहीं होगा.
CBSE Board Exam : अभिभावकों के सवालों का एक्सपर्ट ने दिये जवाब
सवाल- क्या दो बार परीक्षा होने से विद्यार्थियों पर सिलेबस का लोड कम होगा?
जवाब- एसी झा, प्राचार्य, डीएवी पब्लिक (पुनाईचक) : जी हां बिल्कुल! सीबीएसइ बोर्ड की ओर से 10वीं के विद्यार्थियों की परीक्षा दो बार आयोजित करने से विद्यार्थियों पर सिलेबस का लोड काफी कम हो जायेगा. पहले और दूसरे फेज की परीक्षा में अलग-अलग यूनिट से सवाल होंगे. इससे विद्यार्थियों का बेस मजबूत होगा.
सवाल – दो बार एग्जाम होने का नियम कब से लागू होगा. क्या दोनों बार एग्जाम देना जरूरी होगा?
जवाब- ब्रदर जॉनसन, उप प्राचार्य, लोयोला हाइ स्कूल, (कुर्जी) : ये नियम 2025-26 सेशन से लागू होगा. इसका मतलब है कि साल 2026 में बोर्ड एग्जाम दो बार आयोजित होंगे. पर ऐसा नहीं है कि किसी स्टूडेंट्स को दोनों बार परीक्षा देना जरूरी होगा. स्टूडेंट्स के पास तीन ऑप्शन होंगे- साल में एक बार परीक्षा दें. या दोनों परीक्षाओं में शामिल हों या फिर किसी सब्जेक्ट में अच्छा परफॉर्म न कर पाने पर, दूसरी परीक्षा में केवल उस विषय का दोबारा परीक्षा दें.
सवाल – क्या विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई में परेशानी होगी?
जवाब- ग्लेन गॉल्सटन, डायरेक्टर, संत डोमिनिक सेवियोज हाइस्कू्ल : विद्यार्थियों पर पढ़ाई का बोझ बढ़ेगा, नहीं बल्कि कम होगा. लेकिन इसका दूरगामी परिणाम बेहतर नहीं होगा. 10वीं-12वीं के सिलेबस में काफी अंतर है. विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई में अचानक वास्ट सिलेबस मिलने से अधिक परेशानी हो सकती है.
सवाल – क्या इससे विद्यार्थियों का मेंटल हेल्थ स्वस्थ रहेगा ?
जवाब – एमपी सिंह, प्राचार्य, केवी, (कंकड़बाग) : पाठ्यक्रम का लोड और परीक्षा की तैयारी का सबसे अधिक असर विद्यार्थियों के मेंटल हेल्थ पर पड़ता है. दो बार परीक्षा होने से विद्यार्थी बेहतर ढंग से परीक्षा की तैयारी कर सकेंगे और उनके पास यह ऑप्शन होगा कि वह दूसरे फेज की परीक्षा में अधिक मेहनत कर बेहतर रिजल्ट प्राप्त कर सकें.