UP News : बांदा स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज को मान्यता नहीं मिली है। वहीं, शिक्षकों की कमी और संसाधनों के अभाव के चलते 1714 सीटों में से 1211 सीट पर ही दाखिले की अनुमति मिली है।
उत्तर प्रदेश के राजकीय आयुष कॉलेजों में 30 फीसदी सीटें कम हो गई हैं। तीनों विधा के कॉलेजों में सरकारी क्षेत्र की 1714 सीटों में सिर्फ 1211 सीट पर ही अभी तक दाखिले की अनुमति मिली है। सीटें कम होने की मूल वजह चिकित्सा शिक्षकों व संसाधनों की कमी है। राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज बांदा को अभी तक मान्यता ही नहीं मिल पाई है। जबकि यूनानी और होम्योपैथिक कॉलेजों को सीटों में कटौती करते हुए सशर्त मान्यता मिली है। हालांकि विभाग का दावा है कि दूसरी काउंसिलिंग तक कुछ सीटें बढ़ जाएंगी। इसके लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है।
होम्योपैथी के नौ कॉलेजों में बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी की 976 सीटें हैं। नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी ने 755 सीटों को मान्यता दी है। यूनानी के दो कॉलेजों में बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (बीयूएमएस) की 150 सीटों के सापेक्ष 119 सीट पर सशर्त दाखिले की अनुमति मिली है। कॉलेजों में सीटें कम होने की मूल वजह चिकित्सा शिक्षकों की कमी बताई जा रही है। कुछ स्थानों पर मानक के अनुसार मरीज और अन्य संसाधनों की कमी पाई गई है। हालांकि आयुष विभाग का दावा है कि तीनों विधा के कॉलेजों में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में दूसरे चरण की काउंसिलिंग के दौरान सीटें बढ़ सकती हैं। इसके लिए आयुष मंत्रालय की मान्यता से जुड़ी केंद्रीय कमेटियों को हलफनामा भी भेजा गया है।
UP News : क्या कहते हैं जिम्मेदार
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आयुष एवं एफएसडीए डा. दयाशंकर मिश्र दयालु का कहना है कि आयुष चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। जहां पद खाली हैं, उसके लिए भर्ती प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। आयोग से भर्ती प्रक्रिया जल्दी कराने की मांग की गई है। कुछ प्रवक्ता पद के परिणाम जारी हुए हैं। प्रधानाचार्यों और अन्य चिकित्सा शिक्षकों की भर्ती हो रही है। उसके आधार पर सीटें बढ़ाने के लिए दोबारा अपील की जा रही है। हमारी कोशिश है कि आयुष की सभी सीटें मिल जाएं ताकि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा आयुष डॉक्टर तैयार किए जा सकें।